Home Vastu Keeping Conch at Home: घर में शंख को रखना क्यों माना जाता है, अत्यंत शुभ?

Keeping Conch at Home: घर में शंख को रखना क्यों माना जाता है, अत्यंत शुभ?

by win2brain
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Keeping Conch at Home

Keeping Conch at Home: हिन्दू धर्म में शंख के विभिन्न चमत्कारी गुणों का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार घर में शंख को रखने के अनेक फायदे हैं, भारतीय परंपरा में शंख को विजया, समृद्धि, यश और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, ऐसा माना जाता है जब भी किसी शुभ कार्य की शुरुआत करनी हो तो उससे पहले किया गया शंखनाद फलदायी साबित होता है। हमारे ग्रंथों में शंख के बारे में यह कहा गया है, कि जिस स्थान पर शंख रखा होता है वहां पर कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नही आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शंख को रखना शुभ माना गया है।

हिन्दू धर्म में मंदिर में शंख को बजाना और रखना बहुत धन लाभ की प्राप्ति में सहायक होता है। धार्मिक दृष्टि से शंख की ध्वनि बहुत ही शुभ मानी जाती है। हिन्दू धर्म में होने वाले सभी प्रकार के पूजा पाठ शंख बजाकर ही शुरु किए जाते है। शंख के बजाने से वातावरण में मौजूद सभी प्रकार की अशुद्धियों का नाश हो जाता है तथा नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है।

घर में शंख को रखने से इंसान को हर तरह के लाभ प्राप्त होते हैं तथा देवी-देवताओं का हमें आर्शीवाद मिलता रहता है। प्राचीन काल में भी युद्ध की घोषणा या किसी शुभ काम की शुरुआत शंखनाद से ही की जाती थी। कहीं न कहीं यह प्रथा आज भी देखी जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शंख को रखना या शंखनाद सुनना इतना शुभ क्यों माना जाता है। तो आइए जानें इसके पीछे के तथ्यों के बारे में।

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शंख की उत्पत्ति कैसे हुई | How did conch originate

पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकलने वाले 14 रत्नों में से एक शंख भी था। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार शंख का संबंध धन की देवी लक्ष्मी से माना जाता है, इसलिए शंख को धन लाभ तथा सुख-समृद्धि से जोड़ कर देखा जाता है। जो लोग अपने घरों में शंख को स्थापित किए हुए है या करना चाहते हैं तो उन्हें प्रतिदिन शंख की पूजा करनी चाहिए। शंख की पूजा करने से जन्म कुण्डली में लगे पितृ दोष का भी निवारण होता है।
सनातन धर्म में शंख बजाने या फिर शंख नाद करने की बहुत प्राचीन परंपरा है। भारतीय परंपरा के अनुसार विजय प्राप्ति से पहले और विजय प्राप्ति के बाद भी शंख नाद किया जाता रहा है। प्राचीन काल में युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व शंख नाद किया जाता था जो कि इस बात का संकेत देता था कि दोनो ओर की सेनाए युद्ध के लिए तैयार है और इसी शंख ध्वनि के साथ युद्ध की शुरुआत होती थी। 
माता लक्ष्मी जी से शंख का संबंध भाई बहन के जैसा है, क्योंकि पुराणों में मिले वर्णन के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्र की पुत्री थी और शंख की उत्पत्ति भी समुद्र से ही मानी जाती है इसलिए रिश्ते में एक दूसरे के भाई बहन हुए।

पूजाघर में शंख रखने का महत्‍व | Importance of keeping conch shells in worship

शंख के विषय में यह मान्‍यता है की इसे घर में रखने से घर की सीमा के भीतर कोई भी अनिष्ट कार्य नहीं हो पाता और परिवार के लोगों का जीवन भी बाधाओं से दूर रहता है। इतना ही नहीं, यह भी मान्‍यता है की ऐसा करने से सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

शंखों के प्रकार | Types of Conch

शंख कई प्रकार के होते हैं और सभी से जुड़े पूजा विधान भी अलग-अलग होते हैं। उच्चतम श्रेणी के शंख मालदीव, लक्षद्वीप, भारत, श्रीलंका, कैलाश मानसरोवर में पाए जाते हैं। हिन्दू पुराणों के अनुसार अगर अनुष्ठानों में शंख का इस्‍तेमाल सही तरीके से किया जाए तो यह साधक की हर मनोकामना को पूरा कर सकते हैं। पुराणों में तो यह भी लिखा है कि कोई मूक व्यक्ति नित्य प्रति शंख बजाए तो बोलने की शक्ति भी प्राप्‍त कर सकता है।

शंख और उसकी आकृति | Conch and its shape

शंख को बनावट के अनुसार इसको तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है अर्थात जिस शंख को हम दाहिने हाथ से पकड कर शंखनाद करते हैं उसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं, जिस शंख को बाएं हाथ से पकड कर शंख नाद किया जाता है, उसे वामावर्ती शंख कहते है तथा जिस शंख का मुख एकदम बीचों- बीच खुलता हो उसे मध्यावर्ती शंख कहते है। इस तीनों शंखों में दक्षिणावर्ती शंख को सबसे ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है।

लक्ष्मी का वास | Laxmi Abode

प्राय: दक्षिणावृति और मध्यावृत्ति शंख आसानी से उपलब्ध नहीं होते और इनके चमत्कारी गुण अन्य के मुक़ाबले काफी ज्यादा होते हैं, इसलिए इनका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पूजा के दौरान दक्षिणावृति शंख रखने और उसकी पूजा करने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

धार्मिक कार्य | Religious work

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार तो बिना शंखनाद के कोई भी धार्मिक कार्य पूरा नहीं होता। इसकी आवाज से प्रेत आत्माओं और पिशाचों से मुक्ति मिलती है।

विभिन्न प्रकार

इन तीन मुख्य प्रकार के शंखों के अलावा अन्य शंख भी पाए जाते हैं जैसे- लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, गणेश शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, कामधेनु शंख, देव शंख, चक्र शंख, गरुण शंख, शनि शंख, राहु शंख आदि भी होते हैं।

शंखों की गुण | Properties of shells

माना जाता है गणेश शंख में जल भरकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से संतान स्वस्थ और रोग या विकार मुक्त पैदा होती है। अन्नपूर्णा शंख को रसोई घर या भंडार गृह में रखने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती, मणिपुष्पक शंख को घर में स्थापित करने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं।

शंख का स्नान | Shankh ka Snaan

घर में जहां मंदिर की स्थापना की जाती है वहाँ शंख को रखने का भी प्रावधान है, पूजा वेदी पर शंख की स्थापना किसी भी शुभ दिन जैसे होली, दीपावली, महाशिवरात्रि, नवरात्रि, आदि कभी भी की जा सकती है। जिस तरह हिन्दू धर्म में भगवान को घी, दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है, वैसे ही शंख को भी स्नान करवाया जाना चाहिए।

प्रयोग का तरीका 

दैविक, अर्धदैविक और तांत्रिक, तीनों ही प्रकार के अनुष्ठानों में तो शंख का प्रयोग किया ही जाता है लेकिन आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र और विज्ञान में भी इसके प्रयोग का तरीका उल्लेखित है।

शंख की तरंगें

वैज्ञानिकों का भी मानना है कि शंख की तरंगें वातावरण को शुद्ध करती हैं। जब भी शंखनाद होता है तो उसकी आवाज से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और साथ ही हवा में फैले कीटाणुओं का भी नाश होता है। आयुर्वेद के अनुसार शंखोदक भस्म से पेट की बीमारियों, पथरी, पीलिया आदि जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार

वैज्ञानिक, आयुर्वेद और धार्मिक लाभ के साथ-साथ शंख घर के वास्तुदोष को समाप्त करने के लिए भी कारगर साबित होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख के भीतर लाल गाय का दूध भरकर घर में छिड़कने से घर के वास्तुदोष समाप्त होते हैं। इसके अलावा शंख को दुकान या ऑफिस में रखने से व्यवसाय में भी लाभ प्राप्त होता है।

चिकित्सीय पक्ष

शंख में कैल्शियम, फास्फोरस, आदि जैसे गुण होते हैं, इससे सांस संबंधी रोगों से लड़ने में सहायता मिलती है। इसमें पानी रखने से पानी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और इस पानी का सेवन करने से हड्डियाँ, दाँत आदि मजबूत होते हैं।शंख के संबंध में वैज्ञानिको का मत है, कि शंख से निकलने वाले तरंगों से वातावरण शुद्ध होता है, जिससे हमारे घर-परिवार और समाज को बिमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही शंख की तरंगों से वातावरण में उपस्थित कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शंख से बनी भस्म से पेट की बिमारियों से निजात मिलती है।

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